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Bihar 2023 – शिक्षक बहाली : कब और कैसे

बिहार सरकार ने नियमावली 2023 लागू करके शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में परिवर्तन किया है। पहले, प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति जिला स्तर पर वर्षवार प्रशिक्षित शिक्षक अभ्यर्थियों के पैनल से होती थी। इसके बाद, 2000-2010 के बीच इसमें कुछ बदलाव आये । अब नई नियमावली के अनुसार, शिक्षक बहाली BPSC की परीक्षा के द्वारा होगी।

अब तक की बहाली प्रक्रिया की पूरी कहानी-

  • पहले, मैट्रिक के बाद प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) प्राप्त करने वाले उम्मीदवार बनाए जाते थे।
  • सरकार उन उम्मीदवारों की सूची बना कर रखती थी और नियुक्ति जिला स्तर पर वर्षवार प्रशिक्षित शिक्षक अभ्यर्थियों के पैनल से होती थी।
  • इन शिक्षकों को नियमित शिक्षक कहा जाता था और उन्हें सभी तरह की सुविधाएं प्राप्त होती थीं, जैसे पेंशन, वेतन वृद्धि, पीएफ, महंगाई भत्ता, टीए और डीए।
  • इस प्रक्रिया को लंबे समय से चलाया जाता रहा।
  • परंतु, 2023 में बिहार सरकार ने नई नियमावली को स्वीकार किया . और शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया में काफी परिवर्तन किया है। अब शिक्षक बहाली बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा के द्वारा होगी। BPSC ने पूरी तैयारी कर ली है और शिक्षकों के रिक्त पदों के लिए जल्द ही विज्ञापन जारी किया जाएगा।
  • इस प्रकार, 90 के दशक से 2023 तक शिक्षक बहाली की प्रक्रिया में मुख्य बदलाव यह है कि अब पुनः शिक्षक बहाली BPSC की परीक्षा के माध्यम से होगी। यह नई नियमावली शिक्षकों को राज्य सरकार के राज्यकर्मी के दर्जे तक पहुंचने की सुविधा देने के लिए किया गया है .

बिहार प्रारंभिक विद्यालय नियुक्ति नियमावली 1991

बिहार में प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में पहला बदलाव 1991 में तत्कालीन सरकार के द्वारा किया गया. और नियमावली 1991 अस्तित्व में आई।

इस नियमावली के तहत शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी के द्वारा की गई। जिसमें शिक्षकों की बहाली बीपीएससी की परीक्षा से होनी थी और परीक्षा में प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित, दोनों तरह के लोगों को अवसर दिया गया।

नियुक्ति नियमावली 1991 के नियम 11 के अनुसार-

  • जो उम्मीदवार प्रशिक्षित थे, उन्हें मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान में नियुक्त किया जाना था,
  • और जो उम्मीदवार अप्रशिक्षित थे, उन्हें मैट्रिक अप्रशिक्षित वेतनमान के प्रारंभिक वेतनमान में नियुक्त किया गया था.

वर्ष 2003: तत्कालीन राजद सरकार के काल में 34540 सहायक शिक्षक पद के लिए विज्ञापन

  • वर्ष 2003 में तत्कालीन राबड़ी देवी की सरकार ने 34540 सहायक शिक्षक पदों के विज्ञापन निकाले।
  • इसमें आवेदकों के लिए माध्यमिक (मैट्रिक) और उच्च माध्यमिक(इंटरमीडिएट) परीक्षा उत्तीर्ण होने की अहर्ता निर्धारित की गई थी।
  • वे अभ्यर्थी जो प्रशिक्षित थे, उन्होंने विज्ञापन के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
  • वर्ष 2005 में न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को ही बहाल करने का आदेश दिया।

इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी और इस तरह राज्य में 34540 सहायक शिक्षकों की बहाली का मामला अधर में लटक गया।

इस नियमावली के तहत परीक्षा के ज़रिये पहली बार वर्ष 1994 में राज्य में शिक्षकों की बहाली हुई। इसके बाद परीक्षा के माध्यम से वर्ष 1999 और 2000 में नियुक्ति हुई। इसके बाद राज्य में कुछ सालों तक शिक्षकों की बहाली बंद रही।

पंचायत शिक्षा मित्र

  • राबड़ी देवी सरकार में काफी लंबे समय बाद शिक्षकों की बहाली हुई, जिन्हें ‘पंचायत शिक्षा मित्र’ नाम दिया गया।
  • इसके बारे में कहा गया कि नए शिक्षकों की बहाली होने तक ये ‘पंचायत शिक्षा मित्र’ वैकल्पिक व्यवस्था हैं।
  • यह बहाली नियोजन अनुबंध पर हुई थी जिसमें वेतन प्रति माह 1500 रुपये मिलते थे, जो साल में 11 माह के लिए ही देय था।
  • इस पद के लिए शिक्षकों को उसी पंचायत का निवासी होना शर्त थी, जहां पर बहाली होनी थी।
  • इस बहाली में मैट्रिक व इंटरमीडिएट परीक्षा के प्राप्तांक को आधार बनाया गया था।
  • जो शिक्षा मित्र सिर्फ मैट्रिक पास थे, उनको तीन साल के अंदर इंटर की योग्यता हासिल करने के लिए कहा गया था। ये शिक्षक ग्राम पंचायत के द्वारा बहाल किये गये थे। 11 माह पूरा होने के पश्चात शिक्षा मित्रों के लिए अपना अनुबंध रिन्यु कराने का प्रावधान था।
  • कोई भी शिक्षा मित्र सिर्फ 3 बार ही अपना अनुबंध रिन्यु करा सकता था।
  • ऐसे शिक्षकों को शिक्षा विभाग की तरफ से पहले साल में 1 माह का प्रशिक्षण, तथा दूसरे साल में एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिलाने का प्रावधान था।

वर्ष 2005 में नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो इन शिक्षा मित्रों की उम्मीद दोगुनी हो गई। दरअसल, नीतीश कुमार की सरकार इस वादे के साथ सत्ता में आई थी कि सरकार में आते ही वह इन शिक्षा मित्रों को स्थाई कर देंगे।

नियोजन और सेवा शर्त नियमावली 2006

सरकार जुलाई 2006 में बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक (नियोजन और सेवा शर्त), बिहार नगर निकाय प्रारंभिक शिक्षक (नियोजन और सेवा शर्त) नियमावली और जिला परिषद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षक (नियोजन और सेवा शर्त) नियमावली लेकर आई। पंचायत प्रारंभिक शिक्षकों को दो श्रेणी में रखा गया- प्रखण्ड शिक्षक जिनकी प्रखण्ड स्तर पर तथा पंचायत शिक्षक जिनकी पंचायत स्तर पर बहाली होनी थी।

प्रखण्ड शिक्षकों का नियोजन मध्य विद्यालयों में पंचायत समिति द्वारा और पंचायत शिक्षकों का नियोजन प्राथमिक विद्यालयों में ग्राम पंचायत द्वारा किया जाना था। इसमें प्रशिक्षित तथा अप्रशिक्षित दोनों कोटि के शिक्षकों की बहाली होनी था। हालांकि प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को वरीयता देने की बात कही गई थी। प्रत्येक कोटि में 50 फीसद सीट महिलाओं के लिए आरक्षित थी।

नगर प्रारंभिक शिक्षकों को भी दो श्रेणी में रखा गया- नगर शिक्षक(प्रशिक्षित) और नगर शिक्षक(अप्रशिक्षित)। इस बहाली के लिए स्थानीय नगर निकायों को ज़िम्मेदारी दी गई। नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत इन निकायों में शामिल थे।

2003 में जो शिक्षक शिक्षा मित्र के पदों पर बहाल हुए थे, उनको वर्ष 2006 में नियोजित शिक्षकों के तौर पर मान्यता मिली। उनके सेवाकाल को बढ़ा कर 60 वर्ष कर दिया गया। हालांकि इन नियोजित शिक्षकों को पहले के नियमित शिक्षकों को मिलने वाली सुविधाएं, जैसे कि पेंशन, पीएफ, वेतन वृद्धि, टीए तथा डीए से वंचित कर दिया गया।

अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षक को प्रशिक्षित कराने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) को इन शिक्षकों के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई। इस दो वर्षीय प्रशिक्षण को डीपीई यानि ‘डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन’ नाम दिया गया। सत्र 2007-09 में लगभग 40000 हज़ार शिक्षकों ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। सत्र 2008-10 और 2009-11 में भी लगभग इतने ही शिक्षकों ने प्रशिक्षण में हिस्सा लिया।

बिहार विशेष प्रारंभिक शिक्षक नियमावली-2010 (34540 कोटि)

  • 34540 सहायक शिक्षक पदों की बहाली के आदेश के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में जो अपील दायर की थी, उसे सरकार ने 2007 में वापस ले लिया।
  • लेकिन सरकार ने प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को सरकारी वेतनमान के बजाय सिर्फ 5000 रुपये का वेतन देकर नियोजित करना प्रारंभ किया।
  • इससे नाराज़ होकर प्रशिक्षित अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दायर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2009 में याचिकाकर्ताओं के हक़ में फैसला दिया और कहा कि सरकार प्रशिक्षण वर्ष के आधार पर वरीयत़ा सूची बनाकर जल्द से जल्द नियुक्ति करे।

इस आदेश के आलोक में शिक्षा विभाग ने ‘बिहार विशेष प्रारंभिक शिक्षक नियमावली-2010’ बनाई, और इस तरह से राज्य में 34540 सहायक शिक्षकों की बहाली का रास्ता साफ हुआ। इन पदों पर विभाग द्वारा आवेदन मांगा गया और वर्ष 2012 में जो अभ्यर्थी 23 जनवरी 2006 तक प्रशिक्षित(बीएड) थे, उनको सहायक शिक्षकों के पद पर बहाल कर दिया गया। इन पदों में 28600 शिक्षक सामान्य विषय के लिए, 1113 शारीरिक शिक्षक पद पर और 4827 शिक्षक उर्दू विषय के पद पर बहाल हुए। ये नियमित शिक्षक कहलाए, लेकिन इनको पेंशन से वंचित कर दिया गया। राज्य में ‘नियमित’ शिक्षकों की यह अंतिम बहाली थी।

TET परीक्षा 2011

राज्य में पहली बार वर्ष 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था।
अभ्यर्थी इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, उनकी मान्यता सात साल तक थी। इस परीक्षा में दो पेपर होते थे – पहला पेपर कक्षा 1-5 तक के लिए और दूसरा पेपर कक्षा 6-8 के शिक्षकों के लिए। दिसंबर, 2011 में प्राथमिक तथा मध्य विद्यालयों के शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा का आयोजन हुआ। इस परीक्षा में 27 लाख परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया, जिनमें से लगभग डेढ़ लाख अभ्यर्थी सफल हुए।

फरवरी, 2012 में माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए हुए एसटीईटी में लगभग सवा चार लाख परीक्षार्थी शामिल हुए। इनमें से प्लस टू स्कूलों के लिए लगभग 20 हज़ार व हाईस्कूलों के लिए करीब 69 हज़ार परीक्षार्थी सफल हुए

इसके 6 वर्ष बाद 23 जुलाई, 2017 को एक बार फिर प्रारंभिक शिक्षकों के लिए टीईटी का आयोजन हुआ। वर्ग 6-8 के लिए 1.68 लाख परीक्षार्थियों ने भाग लिया, जिनमें 30,113 अभ्यर्थी पास हुए। वहीं, वर्ग 1-5 में करीब 44 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए जिनमें से 7038 उम्मीदवारों ने कामयाबी हासिल की। दोनों पेपरों से मिलाकर कुल 37151 अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की।

2006 से 2017 को बीच राज्य सरकार ने प्रारंभिक स्कूलों में करीब सवा तीन लाख, प्लस टू स्कूलों में 12 हज़ार व हाईस्कूलों में 23 हज़ार शिक्षकों की नियुक्ति की।

इस बीच शिक्षा विभाग ने 2013 में 26 हज़ार उर्दू व बांगला शिक्षकों का विज्ञापन निकाला। अक्टूबर 2013 में इस परीक्षा का आयोजन हुआ और अगले महीने नवंबर में इसका परिणाम जारी कर दिया गया। इसमें दोनों पेपर से कुल 26500 अभ्यर्थियों को सफलता मिली। अभ्यर्थियों ने दावा किया कि पहले पेपर में बहुत सारे गलत सवाल थे। इसको लेकर कई बार परीक्षार्थियों द्वारा आवाज़ उठाई गई। विरोध के बाद शिक्षा विभाग ने इसकी जांच करने का फैसला किया। शिक्षा विभाग की जांच में बाल विकास व शिक्षा शास्त्र के चार, गणित में एक और उर्दू के आठ प्रश्न ग़लत निकले। विभाग ने 13 अंक काटकर दोबारा परिणाम निकालने का निर्णय लिया। अंततः मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

हाईकोर्ट ने 13 गलत प्रश्नों के बदले 13 अंक काट कर दोबारा परिणाम निकालने का आदेश दिया। परिणाम निकला तो 12 हज़ार से अधिक अभ्यर्थी फेल हो गए। परीक्षार्थियों ने सिंगल बेंच के आदेश को डबल बेंच में चुनौती दी। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा। इसमें से 14 हजार शिक्षकों की बहाली हो गई, लेकिन 12 हजार उर्दू शिक्षकों का रिजल्ट अभी तक पेंडिंग है।

राज्य में अभी कुल कार्यरत शिक्षकों की संख्या 4 लाख 55 हज़ार है, इनमें कुल 4 लाख 10 हज़ार नियोजित शिक्षक के तौर पर बहाल हैं। ये बहाली प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूलों में की गई है। अभी भी इन स्कूलों (प्राथमिक-प्लस टू स्कूल) में 2 लाख 73 हज़ार शिक्षकों के पद रिक्त हैं।

बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्यवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2023

नई शिक्षक नियमावली-2023 को मंज़ूरी मिलने के बाद शिक्षक नियुक्ति की सभी पुरानी इकाईयां भंग कर दी गई हैं।
नई नियमावली के अनुसार, अब शिक्षक राज्यकर्मी कहलाएंगे तथा इनको भी राज्यकर्मियों को मिलने वाली सारी सुविधाएं प्राप्त होंगी।

राज्य में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की ज़िम्मेदारी शिक्षा विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग BPSC को दी है।
इसके लिए आयोग जल्द से जल्द विज्ञापन निकालने की तैयारी में जुट गया है।
राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की संख्या 79,943, माध्यमिक शिक्षकों की संख्या 32,916 तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों की संख्या 57,618 हैं।

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